'झारखंड टाइगर' कहे जाने वाले चंपई सोरेन कौन हैं?
Champai Soren: हेमंत सोरेन की जगह मुख्यमंत्री के रूप में जाना जा रहा है, 'झारखंड टाइगर' कहे जाने वाले चंपई सोरेन कौन हैं?
झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में, चंपई सोरेन आज शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। उनका संघर्षपूर्ण सफर सरायकेला-खरसांवा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव से शुरू होकर, पिता के साथ खेतों में काम करने तक लेकर नए मुख्यमंत्री के पद के लिए उनके नाम का प्रस्तावना होने तक बहुत संघर्षपूर्ण रहा है
चंपई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं। उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। चंपई सोरेन ने 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक बीजेपी सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में, चंपई सोरेन को खाद्य आपूर्ति और परिवहन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
जेएमएम सरकार में, हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद साल 2019 में, चंपई सोरेन को दूसरी बार मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री का पद सौंपा गया।
चंपई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के विधायक और सरायकेला विधानसभा सीट के वर्तमान प्रतिष्ठानुसार पहचाने जाते हैं। वे सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगगोड़ा गांव से संबंधित हैं। चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं और वे पूर्व में झारखंड सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री रहे हैं। उनके पिता, सिमल सोरेन, आदिवासी किसान थे और चंपई सोरेन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को सरकारी स्कूलों से पूरा किया। उनकी शादी उनकी कम आयु में हो गई और इसके पश्चात चंपई के जीवन में 4 बेटे और 3 बेटियां आईं। चंपई सोरेन ने झारखंड राज्य के आंदोलन में भी शिबू सोरेन के साथ साझा किया और उन्हें 'कोल्हान टाइगर' कहा जाता है। वे चंपई कोल्हान इलाके के नेता हैं, जो शिबू सोरेन के सबसे विश्वस्त सहायक हैं। चंपई सोरेन ने सरायकेला सीट से निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और उसके पश्चात उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ग्रहण की है।
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